उपन्यास >> उफ़्फ़ ! ये अमरीकी उफ़्फ़ ! ये अमरीकीअनुराग माथुर
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इस हास्य-विनोद से छलकते उपन्यास में एक युवा भारतीय छात्र द्वारा एक छोटे से अमेरिकी विश्वविद्यालय में बिताए एक वर्ष के अनुभवों का वर्णन है...
Uff Ye Amriki - Anurag Mathur
The Inscrutable Americans की 2.5 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं
अमेरिका की दुनिया भर में ऐसी महिमा है कि उस देश के बारे में हर व्यक्ति की अपनी निश्चित धारणा है- जो वहाँ गया है उसकी भी और जो नहीं गया है उसकी शायद और भी। इस हास्य विनोद से छलकते उपन्यास में एक युवा भारतीय छात्र द्वारा एक छोटे से अमेरिकी विश्वविद्यालय में बिताए एक वर्ष के अनुभवों का वर्णन है, जिसे संक्षेप में कहा जा सकता है: ‘अमेरिका-एक व्यक्तिगत खोज’।
नायक गोपाल एक ऐसे छोटे से कस्बे से आया है जिसे स्थानीय बोलचाल में ‘मध्य प्रदेश का पेरिस’ कहा जाता है। उसकी अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हास्यास्पद ढंग से भारतीय अंदाज का पुट लिए हुए है, साथ ही अमेरिका को लेकर उसकी सोच बिल्कुल अटपटी है। उपन्यास की विषय-वस्तु अमेरिका से जुड़ी उसकी मनोरंजक खोज और वहाँ हुए कई तरह के रोमांचक अनुभवों से होती उसकी खुद की परिपक्वता के इर्द-गिर्द घूमती है। इस उपन्यास में पैनेपन के साथ ही अर्थ की गहराई है जो कि पाठक को इसमें वर्णित मजेदार घटनाचक्रों से कहीं आगे ले जाती है।
‘The Inscrutable Americans अमेरिका और भारत दोनों का ही हास्य उत्सव है।’
अमेरिका की दुनिया भर में ऐसी महिमा है कि उस देश के बारे में हर व्यक्ति की अपनी निश्चित धारणा है- जो वहाँ गया है उसकी भी और जो नहीं गया है उसकी शायद और भी। इस हास्य विनोद से छलकते उपन्यास में एक युवा भारतीय छात्र द्वारा एक छोटे से अमेरिकी विश्वविद्यालय में बिताए एक वर्ष के अनुभवों का वर्णन है, जिसे संक्षेप में कहा जा सकता है: ‘अमेरिका-एक व्यक्तिगत खोज’।
नायक गोपाल एक ऐसे छोटे से कस्बे से आया है जिसे स्थानीय बोलचाल में ‘मध्य प्रदेश का पेरिस’ कहा जाता है। उसकी अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हास्यास्पद ढंग से भारतीय अंदाज का पुट लिए हुए है, साथ ही अमेरिका को लेकर उसकी सोच बिल्कुल अटपटी है। उपन्यास की विषय-वस्तु अमेरिका से जुड़ी उसकी मनोरंजक खोज और वहाँ हुए कई तरह के रोमांचक अनुभवों से होती उसकी खुद की परिपक्वता के इर्द-गिर्द घूमती है। इस उपन्यास में पैनेपन के साथ ही अर्थ की गहराई है जो कि पाठक को इसमें वर्णित मजेदार घटनाचक्रों से कहीं आगे ले जाती है।
‘The Inscrutable Americans अमेरिका और भारत दोनों का ही हास्य उत्सव है।’
द टाइम्स ऑफ इण्डिया
‘अपनी ऊटपटांग अंग्रेजी और मासूमियत के बदौलत गोपाल अपने दोस्तों, साथियों, शिक्षकों और सबसे अधिक पाठकों के बीच अपना स्थान बनाने में सफल हो पाया है...’
इंडियन एक्सप्रेस
अनुवाद : शिवानी खरे
चित्रांकन : नितेश मोहंती
आवरण डिजाइन : भवी मेहता
चित्रांकन : नितेश मोहंती
आवरण डिजाइन : भवी मेहता
अनुराग माथुर
अनुराग माथुर का जन्म नई दिल्ली में हुआ था और सिंधिया स्कूल (ग्वालियर), सेंट स्टीफन्स कॉलेज (दिल्ली) और टल्सा यूनीवर्सिटी (ओखलाहोमा) से आपकी शिक्षा हुई। भारत आकर पत्रकारिता और प्रकाशन शुरु करने से पहले आपने तीन साल अमेरिका में बिताये। सम्प्रति, आप नई दिल्ली में रहते हैं और भारत के जाने-माने समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से अपना योगदान देते रहते हैं। आपकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं : ट्रेवल्स, द डिपार्टमेन्ट ऑफ डिनायल्स, मेकिंग द मिनिस्टर स्माइल, सीन्स फ्रॉम एन एक्ज़ीक्यूटिव लाइफ, ट्वंटी टू डेज़ इन इंडिया और कविता संग्रह ए लाइफ लिव्ड लेटर।
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